توضیحات
گزیده ای از کتاب یاسمن در باد
وقتی از حجله مردی برای گریز
ره به دیار دیگر میسپردی
آیا سوز زخم گلوله را هم
اینک دختران قبیله
به انتظار توماندهاند.
در آغاز کتاب یاسمن در باد می خوانیم
شعر دریا | 7 | < | 30 | از روح سنگ |
از پرنده و باد و دریا | 9 | < | 33 | گام رفتن |
1. خشکی به لب کشانده | 9 | < | ||
2. دریا تو نگفتهها را | 10 | < | 35 | هوای بیقرار |
3. دریای قصهها | 12 | < | 37 | آواز کلاغ |
4. ای برده ما را | 14 | < | 39 | عصر چهارشنبه |
5. دریا اما سخن نمیگوید | 15 | < | 41 | از کوهها |
6. یک شب، باد با تو… | 17 | < | 44 | یاسمن در باد |
7. من قامت درختم | 18 | < | 47 | گم |
8. دریا را اما چشم به… | 20 | < | 51 | خیال |
9. دریا حرفی ناسروده است | 21 | < | 53 | هوای بیقرار |
< | 55 | میان ما | ||
پنهان از ماه | 23 | < | 57 | باغ باران |
در باران | 25 | < | 59 | میگفت |
تاریکی | 27 | < | 61 | شعر بغداد |
گفتند | 64 | < | 80 | شاعت شش عصر |
سرمای عشق | 67 | < | 82 | مردم سنگ |
کسی با پائیز میرود | 69 | < | 85 | گاهی |
به روزهای نیامده | 71 | < | 87 | باران شدم و باریدم |
ای کاش جنگ نبود | 73 | < | 89 | ابرها |
نامهات | 76 | < | 96 | برگ و باد |
چیزی نوشته نشد | 78 | < |
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